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कुमार सीमा
नई दिल्ली: साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल की एकादशी तिथि को ‘निर्जला एकादशी’ (निर्जला एकादशी) मेनेई है। बार निर्जला एकादशी का व्रत 10 जून को. सभी एकादशी व्रतियों में ‘निर्जला एकादशी’ को तेज गति से दौड़ने वाला फल मिलता है। ज्योतिष-शास्त्र के हिसाब से, इस वर्ष ज्योतिष शुक्ल एकादशी की तारीख 10 शुक्रवार को: 07 बजकर 25 से कल और कल 11 नवंबर को सुबह: 05 बजकर 45 पर होगा। जला एकादशी व्रत में क्या करें और क्या न करें ?
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, व्रत के दिन पूर्व से मांस, एक तामसिक भोजन का कीट भी न करें। दशमी के सात्विक व्रत करें।
‘निर्जला एकादशी व्रत’ में पानी न पीएं। जल पवित्र से टूटा हुआ। जल दान कर सकते हैं।
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यह भी आगे
ज्योतिष के अनुसार, यह व्रत सभी एकादशी से फल देने वाला है। इसलिए स्वस्थ रहें। इस समय तापमान अधिक होता है, इससे व्यक्तिगत रूप से प्रभावित होता है। इस प्रकार निर्जला एकादशी व्रत में परिवर्तन होता है। यह शानदार और शानदार है।
अपने मन में द्वेष, क्रोध, क्रोध। काम, मोहलत, ख़ुशियों के साथ ख़ुशियों का ख़िताब।
इस दिन पूजा के समय ‘निर्जला एकादशी’ व्रत-कथा का श्रवण या पाठ करें। व्रत का फल प्राप्त होता है.
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