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शरद ऋतु यहाँ है। और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम सीजन के अच्छे हिस्सों की कितनी उम्मीद करते हैं, दीवाली के बाद दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण के स्तर के साथ, यह लोगों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। एचटी लाइफस्टाइल से बात करते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा के कंसल्टेंट-एंडोक्रिनोलॉजी डॉ अनुपम बिस्वास ने कहा, “वायु प्रदूषण में वृद्धि के साथ, अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी फेफड़ों की बीमारियों में तेजी आई है। डायबिटीज मेलिटस के मरीज और मोटापा इस तरह के प्रकोपों और निमोनिया जैसे गंभीर फेफड़ों के संक्रमण के परिणामी विकास के लिए अधिक प्रवण हैं। मधुमेह और अस्थमा का संयोजन अस्थमा के बिगड़ने और अस्पताल में भर्ती होने की अवधि के दौरान प्रतिकूल प्रभाव में योगदान देने वाले ग्लाइसेमिक नियंत्रण से समझौता कर सकता है जिससे ऐसे रोगियों में रुग्णता और मृत्यु दर के जोखिम में वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, ग्लूकोकार्टिकोइड्स जो अक्सर फेफड़ों के विकारों के इलाज के लिए निर्धारित किए जाते हैं, रक्त ग्लूकोज नियंत्रण को और खराब कर सकते हैं। इसलिए मधुमेह के रोगियों को इस मौसम में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ताकि फेफड़ों की बीमारियों से जुड़ी गंभीर जटिलताओं से बचा जा सके।”
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डॉ जितेंद्र कुमार, चेयरमैन – रीनल साइंसेज एंड ट्रांसप्लांट मेडिसिन, एकॉर्ड सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद ने कहा, “वायु प्रदूषण में मधुमेह की उच्च घटनाओं के लिए कई तंत्र हो सकते हैं जैसे कि सूजन का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के अंदर। यह प्रस्तावित किया जाता है कि प्रदूषक फेफड़ों में प्रवेश करते समय जैव रासायनिक परिवर्तनों की एक श्रृंखला शुरू करते हैं जिससे सूजन में वृद्धि होती है और जिससे मधुमेह की घटना अधिक होती है। प्रदूषण रक्त वाहिकाओं के नुकसान से भी जुड़ा हुआ है, (एन्डोथेलियल डिसफंक्शन) ऑक्सीडेटिव तनाव में वृद्धि, इंसुलिन के स्राव में कमी, इंसुलिन की संवेदनशीलता में कमी और कई अन्य चयापचय परिवर्तन जो समग्र रूप से मोटापा, डिस्लिपिडेमिया और मधुमेह की उच्च घटनाओं को जन्म देते हैं।
विशेषज्ञों ने इस मौसम में सुरक्षित रहने के कुछ टिप्स भी साझा किए:
बाहर जाने से बचें: मधुमेह और अस्थमा के रोगियों को इस दौरान बाहर जाने की आवृत्ति कम कर देनी चाहिए। आपात स्थिति में एन95 मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
व्यायाम: अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 30 मिनट व्यायाम करें। बाहर जाना संभव नहीं हो सकता है और इसलिए अपने घर पर ही योजना बनाई जा सकती है।
रक्त शर्करा की निगरानी करें: घर पर नियमित रूप से रक्त ग्लूकोज की निगरानी करने की भी सिफारिश की जाती है, खासकर यदि रोगी ग्लूकोकार्टिकोइड थेरेपी पर है और यदि उनके रक्त शर्करा का स्तर सीमा में नहीं है। अस्थमा के गंभीर या बिगड़ते लक्षणों के मामले में, उनके इलाज करने वाले डॉक्टर से तुरंत मिलने की सलाह दी जाती है।
खुराक: अपने आहार में लहसुन, अलसी और मेथी जैसे प्राकृतिक अवयवों को शामिल करें, क्योंकि ये एक उपचारक के रूप में कार्य करते हैं। पूरे दिन हाइड्रेटेड रहने और आहार में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करने से भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है।
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