Nagchandreshwar Temple | आखिर क्यों साल में एक ही दिन खुलता है उज्जैन का यह प्रसिद्ध नाग मंदिर, जानें इसके पीछे का रहस्य

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फोटो साभार - अनी

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मुंबई : हमारे आस-पास के शिव या नाग (शिव मंदिर) की कमी है। हर मंदिर अलग-अलग है। हिंदू परंपरा (हिंदू परंपरा) में नागों को शिव का पहनावा भी लगाया गया है। इस बार नागपंचमी (नागपंचमी) आज या 2 अगस्त को। आज के दिन यह हर चक्कर में अजीब तरह से होता है। वैसे तो सभी मंदि kir kasa के 12 महीने महीने खुले खुले खुले r हैं हैं खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले खुले महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने महीने जो भी पूरी भर में एक बार में ही उपलब्ध हो और वो भी हो।

इस तरह के नागचन्द्रेश्वर मंदिर (उज्जैन नागचंद्रेश्वर मंदिर) में यह अच्छी तरह से स्थापित है। नापसुंदर भगवान ने खुद को नागराज तक्षक विराजमान कहा है। अपने फन को वाह-वाही पर आसन पर शिव और माता पर्वत विराजमान हैं। गौ तलब है है कि ऐसी ऐसी मू मू उज उज ktamabair कहीं कहीं भी नहीं नहीं नहीं है है है है है है है है है है है है नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी भी नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं नहीं

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एक ही दिन में पूरा किया गया हो?

पर्यावरण के अनुकूल होते ही तापमान राजतक्षक ने कहा कि तापमान को उच्च तापमान के लिए है। सर्प राज तक्षक के घोर तपस्या से शिव प्रसन्न भी। बाद में सर्पों के राजा तक्षक नाग (तक्षक) को अमरत्व की वरदानी। वह भी चाहता था कि किसी को भी। बाद में विस्तृत रूप से जांच की जाती है। उसकेबाद में उनका सम्मान होगा.



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