महाराष्ट्र कोर्ट | महाराष्ट्र: हाई कोर्ट का शिंदे सरकार से सवाल- व्यस्त हड़तालों को रोकने के लिए क्या ‘कदम’ स्वीकार करें?

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शिंदे

फाइल फोटो

मुंबई, बंबई उच्च न्यायालय (बॉम्बे उच्च न्यायालय) ने महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार से शुक्रवार को पूछा कि अत्यधिक हड़तालों के ”खतरों को रोकने” के लिए वह क्या कर रहा है? अदालत ने कहा कि इन सभी आम नागरिकों पर संकट नहीं होना चाहिए। कार्य मुख्य न्यायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला और संदीप मार्ने की खंडपीठ वकील गुणरत्न सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही।

याचिका में शिक्षण और अनुबंधित क्षेत्र के कर्मचारियों सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों की स्थिति को वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की मांग को लेकर राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं।

इससे राज्य में नौकरीपेशा कामकाज और कई नौकरियां प्रभावित हो रही हैं। महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि हड़ताल ”अवैध” है और क्षति दी है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है कि हड़ताल के कारण किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो। पीठा सरकार ने स्पष्ट रूप से यह बताया कि वह बुनियादी सुविधाएं और आवश्यक सेवाएं जनता तक पहुंचने के लिए सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।

कोर्ट ने कहा, ”हमें चिंता है कि हम आम नागरिकों की सेवाओं से अपरिचित न रहें। आम नागरिकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम जानना चाहते हैं कि इस खतरे को रोकने के लिए राज्य क्या कदम उठा रहा है। लोगों को सुविधाओं और आवश्यक सेवाओं के लिए सरकार क्या कर रही है।” अदालत ने 23 मार्च को मामले को सूचीबद्ध करते हुए कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह उचित कार्रवाई करे ताकि कोई काम न हो।



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