72 हुरैन समीक्षा | फिल्म ’72 हूरें’ में धर्म की पहचान है, राक्षस का भयानक चेहरा, पढ़ें रिव्यु

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72 हुरैन का ट्रेलर आउट

फोटो – टीज़र स्क्रीन ग्रैब

फ़िल्म: 72 हूरें

निर्देशक : संजय पूर्ण सिंह चौहान

कास्ट : पवन दीवान, आमिर बशीर

निर्माता : गुलाब सिंह तंवर, अनिरुद्ध तंवर और किरण डागर

सह-निर्माता : अशोक पंडित

रेटिंग : 3 अक्षर

कहानी: अनिल पांडे और जुनैद वासी द्वारा लिखी गई फिल्म की कहानी दो स्ट्रेंथ हाकिम (पवन हॉस्टल) और साकिब (आमिर बशीर) पर आधारित है। जो एक मौलाना की बातें में ग्यान जेहाद का रास्ता अपना लेते हैं और ये दोनों बंदे जन्नत और 72 हूरें की मुलाकात की ख्वाहिशें पाकिस्तान से भारत और दुश्मन हैं। दोनों मुंबई के गेट ऑफ इंडिया पर अल्लाह का नाम लेकर बम विस्फोट करते हैं, लेकिन दोनों के निधन के बाद मौलाना की बातें पूरी तरह से उल्टी साबित होती हैं। जहां मौलाना ने दोनों से कहा था कि जेहाद के बाद जन्नत और अल्लाह के फ़रिश्ते उनके साथ रहते हैं। वहीं हकीम और साकिब की मौत के बाद भी कुछ ऐसा नहीं हुआ. यहां तक ​​कि दोनों के शव को नमाज तक भी नसीब नहीं होती है। फिल्म में देखने का तरीका यह है कि कैसे उनका ब्रेनवॉश किया जाता है।

अभिनय : फिल्म में आमिर बशीर और पवन दंगा ने प्रदर्शनकारियों का किरदार निभाया है। दोनों ने अपने-अपने किरदारों को लॉन्च किया है। परफेक्ट बॉडी लैंग्वेज से लेकर एक्सप्रेशन तक खुद में ढीला है। दोनों ऑडियन्स खुद से जुड़े हुए में शामिल हो गए।

डायरेक्शन: फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो फिल्म पर संजय पूरन सिंह चौहान ने कड़ी मेहनत की है। उन्होंने फिल्म में टोंक की कोशिश की है कि कैसे मासूमों का ब्रैनवॉश करते हैं। जो वाकई बेहद हैरान कर देने वाला है। फिल्म से जुड़े रहने के लिए संजय पूरन सिंह ने अपनी सारी मेहनत और सीख दी है। फिल्म में बम ब्लास्ट के सीन को ऐसे दिखाया गया है। जिन लोगों के रोंगटे हो जाएंगे।



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