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कुमार सीमा
नई दिल्ली: सनातन धर्म में सूर्य देव का परिवर्तन संक्रांति के रूप में है। ग्रह है कि, सूर्य का ग्रह भी बदल रहा है। उस दिन को खाता संक्रांति के नाम से जाना है। पंचांग के हिसाब से, इस वर्ष 17 अगस्त को ‘संक्रांति’ (सूर्य संक्रांति) मेनेई है।
ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, ‘सिंह संक्रांति’ (सूर्य संक्रांति) के दिन सूर्य देव के साथ विष्णु जी और नरसिंह की पूजा का विधान है। साथ ही सिंह संक्रांति की पवित्रता में स्नान करने और दैवयोग से सूर्य की रोशनी में भी ऐसा ही होता है। इस तरह से यह तय किया गया है कि यह खराब हो गया है, इसलिए ‘घी संक्रांति’ को भी यह पसंद किया जाता है। जानें️ जानें️ जानें️️️️️️
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इस कार्य को पूरा करना शुभ है
क्रियाकलाप के अनुसार, ‘सिंह संक्रांति’ (सूर्य संक्रांति) पर विकसित होने से बुद्धि, प्रतिबद्धता, तेज, ऊर्जा और स्मृति में वृद्धि होती है। ‘घी संक्रांति’ को स्थायी रूप से स्थापित किया गया है। संक्रमण होने के बाद भी उन्हें संक्रमण होता है। इकठ्ठा होने-मात्रा के अनुसार, इस गलत तरीके से सफल होने के लिए ऐसा करना होगा। स्थायी रूप से स्थायी होने के बाद भी यह स्थायी हो सकता है।
सूर्य सिंह संक्रांति के दिन सूर्य देवता विष्णु विष्णु और नरसिंह संक्रांति की देखभाल करते हैं। जीवन में आने वाली घटना है। विशेष रूप से धोने के लिए विशेष रूप से… इस दिन शुभ फलदायक होता है।
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