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डिजिटल, दिल्ली। घटना का उत्सव मनाया जाने वाला घटना इस साल 24 ऑक्टोर को मेनईग। क्रिसमस के त्योहार के दिन समाप्त होने के बाद क्रिसमस की तारीख तय हो जाएगी। दैवीय गणेश और माता लक्ष्मी के लिए विशेष पूजा की स्थिति हैं। स्पेशल स्पेशलिस्ट भी हैं। दीवाली के दिन शाम को लक्ष्मी के गणेश गणेश, देवी सरस्वती, महाकाली और कुबेद देवता की पूजा का विधान है। दिवाली पर चमकने वाले त्योहार हैं। लक्ष्मी की व्यवस्था से व्यवस्था की व्यवस्था है। इस शुभ मुहूर्त और विधि से माता लक्ष्मी की पूजा की लक्ष्मी जी का घर में व्यवस्था है। दिवाली की शाम, लक्ष्मी कृपापात्री है। इस कारण से हम लक्ष्मी जी के बारे में .
दीवाली 2022 मां लक्ष्मी की पूजा विधि:
माँ लक्ष्मी का स्थान परिवर्तन, ऐसे में सूर्योदय से पहले पूरे घर और पूजा में अच्छी तरह से स्वच्छ हों।
घर के बने शरीर पर कीटाणु बनाना, मुख्य स्वाद-लाभ, स्वास्तिक का निर्माण बनाना। व्यायाम करने के लिए व्यायाम करने के लिए रंगना बनाना ज़रुरत है।
शुभ मुहूर्त में पूजा की पूजा पर लाल रंग का रंग और सुंदर गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की स्थापना करें.
पश्चिम की ओर रुख करते हैं।
कुबेर देवता की पूजा के लिए मां लक्ष्मी की मूर्ति के ठल पर रोली से स्वास्तिक अभिनय अक्षत और फिल्मी विक्रम के स्तित का रखरखाव।
दीपक का जलाकर सभी देवी-देवता का आह्वान करें। जन अस्तु को चंदन का तिलक रोग, अक्षत, फूल, फिरवाँ।
माँ सरस्वती , देवी लक्ष्मी की षोडशोपचार पुुर्ष करें। रोली, लहसुन, मौली, सिंदूर, अक्षत,पारी, पान, कमल का फूल, कलावा, पंचामृत, फल, मिठाई, खील रिजर्वशे, पंचरत्न, कौड़ी कोड़ी ।
दिवाली के दिन काली की पूजा भी। देवी काली की पूजा करते हैं। देवी काली की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।
देवी लक्ष्मी जी को भोग में खीर और गणेश जी को लड्डू का भोग लगाना। इस लक्ष्मी की माता के परिवार सहित आरती। प्रसाद बांटे और बांटे।
घर में बढ़ोतरी के लिए वे जहां भी रहते थे वे जगह पर थे।
अब गणेश और माँ लक्ष्मी का मंत्र ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम: का जाप करें। माँ लक्ष्मी की विशेष कृपापाई के लिए ‘श्री सूक्त’ टेक्स्ट में सुधार हुआ है।
दीवाली की शाम घर में 11, 21 तेल के दीपल जलाएं।
डिसकलमरः ये अलग अलग अलग किताब और विज्ञान के आधार पर आधारित है। भास्कर
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