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जयपुर : मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंगलवार को कहा कि जनप्रतिनिधि हर महीने कम से कम एक बार इंदिरा रसोई में जाएं और वहां भोजन करें ताकि भोजन की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने कहा कि मौजूदा महंगाई के दौर में यह योजना छात्रों और कामगारों के लिए वरदान साबित हो रही है.
सीएम गहलोत में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना और इंदिरा रसोई योजना सहित विभिन्न शहरी योजनाओं की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए अधिकारियों को इंदिरा रसोई योजना के तहत परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करने और योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया.
बैठक में बताया गया कि इंदिरा रसोई योजना के तहत अब तक 7.42 करोड़ लोगों को भोजन कराया जा चुका है, जिसके तहत राज्य में कुल 870 भोजन इकाई संचालित हो रही है. अधिकारियों ने कहा कि इंदिरा रसोई इकाइयों की संख्या बढ़ाकर 1,000 की जाएगी, ताकि सालाना 13.81 करोड़ खाने की थाली जरूरतमंदों को बांटी जा सके।
गहलोत ने कहा कि यह खुशी की बात है कि 500 से अधिक स्थानीय सेवा संगठन इंदिरा रसोई इकाइयां ‘नो प्रॉफिट एंड नो लॉस’ के आधार पर चला रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इंदिरा रसोई इकाइयों के संचालन की संभावना तलाशने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (आईजीयूईजीएस) शहरी बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अब तक 3.02 लाख से अधिक परिवारों ने इस योजना के तहत पंजीकरण कराया है, जो कि 800 करोड़ रुपये के बजट से चलाई जा रही है और चालू पखवाड़े में लगभग 66,000 लोगों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 6,905 स्वीकृत कार्यों में से 2,175 कार्य प्रगति पर हैं।
गहलोत को बताया गया कि जहां आईजीयूजीएस के तहत स्वच्छता संबंधी कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है वहीं योजना के तहत पर्यावरण एवं जल संरक्षण, ठोस कचरा प्रबंधन, अतिक्रमण हटाने एवं अवैध बोर्ड/होर्डिंग हटाने और विरासत संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं. योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जा रहा है।
बैठक में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचिव उषा शर्मा भी मौजूद थे।
सीएम गहलोत में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना और इंदिरा रसोई योजना सहित विभिन्न शहरी योजनाओं की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए अधिकारियों को इंदिरा रसोई योजना के तहत परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करने और योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया.
बैठक में बताया गया कि इंदिरा रसोई योजना के तहत अब तक 7.42 करोड़ लोगों को भोजन कराया जा चुका है, जिसके तहत राज्य में कुल 870 भोजन इकाई संचालित हो रही है. अधिकारियों ने कहा कि इंदिरा रसोई इकाइयों की संख्या बढ़ाकर 1,000 की जाएगी, ताकि सालाना 13.81 करोड़ खाने की थाली जरूरतमंदों को बांटी जा सके।
गहलोत ने कहा कि यह खुशी की बात है कि 500 से अधिक स्थानीय सेवा संगठन इंदिरा रसोई इकाइयां ‘नो प्रॉफिट एंड नो लॉस’ के आधार पर चला रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इंदिरा रसोई इकाइयों के संचालन की संभावना तलाशने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना (आईजीयूईजीएस) शहरी बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में अब तक 3.02 लाख से अधिक परिवारों ने इस योजना के तहत पंजीकरण कराया है, जो कि 800 करोड़ रुपये के बजट से चलाई जा रही है और चालू पखवाड़े में लगभग 66,000 लोगों को रोजगार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत 6,905 स्वीकृत कार्यों में से 2,175 कार्य प्रगति पर हैं।
गहलोत को बताया गया कि जहां आईजीयूजीएस के तहत स्वच्छता संबंधी कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है वहीं योजना के तहत पर्यावरण एवं जल संरक्षण, ठोस कचरा प्रबंधन, अतिक्रमण हटाने एवं अवैध बोर्ड/होर्डिंग हटाने और विरासत संरक्षण के कार्य किए जा रहे हैं. योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी परिवार को 100 दिन का रोजगार प्रदान किया जा रहा है।
बैठक में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और मुख्य सचिव उषा शर्मा भी मौजूद थे।
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