[ad_1]
जयपुर: कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार द्वारा दो साल में कस्टम हायरिंग सेंटरों के माध्यम से किसानों को 1500 ड्रोन उपलब्ध कराये जायेंगे.
उन्होंने बताया कि किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम चार लाख रुपये के साथ ही अधिकतम छह हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा.
मंत्री जयपुर के जोबनेर के जोशीवास गांव में ड्रोन तकनीक के लाइव प्रदर्शन के बाद बोल रहे थे.
कटारिया ने कहा कि ड्रोन तकनीक से फसलों में रसायनों के छिड़काव का लाइव प्रदर्शन राज्य भर में शुरू किया गया, जिसमें किसानों को तकनीक की क्षमता से अवगत कराने के लिए प्रत्येक जिले में कुल 20 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन से रसायनों का छिड़काव किया गया.
पहले चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि यूरिया की कमी को पूरा किया जा सके।
उन्होंने बताया कि छोटे एवं सीमांत किसान जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें किराए पर ड्रोन उपलब्ध कराये जायेंगे, जिससे किसान कम लागत और कम समय में व्यापक कृषि क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकेंगे.
कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि पूरी दुनिया में कृषि कार्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग तेजी से हो रहा है.
राज्य में भी सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है ताकि बेहतर उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाई जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रगतिशील किसानों ने कृषि में ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है, भविष्य में कृषि में ड्रोन की मांग और उपयोगिता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
कृषि आयुक्त कानाराम बताया कि पारंपरिक छिड़काव की तुलना में ड्रोन छिड़काव से 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। उन्होंने कहा कि खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता ड्रोन के जरिए आसानी से लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन रासायनिक छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य निगरानी, कीट विश्लेषण, फसल क्षति आकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों के बेहतर प्रदर्शन में उपयोगी हैं।
उन्होंने बताया कि किसानों के खेतों पर प्रदर्शन के लिए ड्रोन की लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम चार लाख रुपये के साथ ही अधिकतम छह हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा.
मंत्री जयपुर के जोबनेर के जोशीवास गांव में ड्रोन तकनीक के लाइव प्रदर्शन के बाद बोल रहे थे.
कटारिया ने कहा कि ड्रोन तकनीक से फसलों में रसायनों के छिड़काव का लाइव प्रदर्शन राज्य भर में शुरू किया गया, जिसमें किसानों को तकनीक की क्षमता से अवगत कराने के लिए प्रत्येक जिले में कुल 20 हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रोन से रसायनों का छिड़काव किया गया.
पहले चरण में नैनो यूरिया के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि यूरिया की कमी को पूरा किया जा सके।
उन्होंने बताया कि छोटे एवं सीमांत किसान जो सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें किराए पर ड्रोन उपलब्ध कराये जायेंगे, जिससे किसान कम लागत और कम समय में व्यापक कृषि क्षेत्र में रसायनों का छिड़काव कर सकेंगे.
कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख सचिव दिनेश कुमार ने बताया कि पूरी दुनिया में कृषि कार्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ड्रोन का उपयोग तेजी से हो रहा है.
राज्य में भी सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है ताकि बेहतर उपज के साथ किसानों की आय बढ़ाई जा सके. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रगतिशील किसानों ने कृषि में ड्रोन का उपयोग करना शुरू कर दिया है, भविष्य में कृषि में ड्रोन की मांग और उपयोगिता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
कृषि आयुक्त कानाराम बताया कि पारंपरिक छिड़काव की तुलना में ड्रोन छिड़काव से 70-80 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। उन्होंने कहा कि खड़ी फसल में पोषक तत्वों की कमी का पता ड्रोन के जरिए आसानी से लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन रासायनिक छिड़काव के साथ सिंचाई निगरानी, फसल स्वास्थ्य निगरानी, कीट विश्लेषण, फसल क्षति आकलन और टिड्डी नियंत्रण जैसे कार्यों के बेहतर प्रदर्शन में उपयोगी हैं।
[ad_2]
Source link