एकेटीयू रिसर्चेगा अब ड्रोन, एविशन और रीन्यूएबल एनर्जी की पढ़ाई | एकेटीयू अब ड्रोन, एविएशन और रिन्यूएबल एनर्जी की स्टडी करेगा

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डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में युवाओं को तकनीक के क्षेत्र में सक्षम बनाने के लिए सरकार ने डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम प्राविष्क विश्विद्यालय (एकेटीयू) के तहत नए तकनीकी संस्थान जाने के लिए निर्देश जारी किए हैं। नए कोर्स में भी नए कोर्स संचालित करने को बढ़ावा दिया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षित युवा रोजगार व स्वरोजगार से जुड़ सकें। इन कोर्सेज में इनोवेशन, स्टार्ट-अप और रीन्यूएबल एनर्जी से जुड़े कोर्सेज को प्राथमिकता दी जाएगी।

एकेटीयू के पीआरओ पवन त्रिपाठी के अनुसार, एकेटीयू एआईआईसीटीसी के निर्देश पर प्रदेश में पूर्ववर्ती को मान्यता प्रदान करने का कार्य करता है। आईसीटीई के मानक पाठ्यक्रम को ही एकेटी से मैच्रेट करके पढ़ाया जाता है। सरकार के इस फैसले से दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को दूसरे शहरों के बहीखाते में दाखिले के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। उन्हें उनके शहरों में निजी तकनीकी संस्थान उपलब्ध हो जाते हैं जहाँ से वो डिग्री या दर्ज कोर्स करके रोजगार हासिल कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि सरकार का फोकस इनोवेशन और स्टार्ट-अप को प्रचार करने वाली तकनीक पर है। रीन्यूएबल एनर्जी को लेकर खुद एकेटी भी कोर्स शुरू करना चाहते हैं। इस तरह से छात्रों को बेहतर भविष्य की दिशा मिलने की संभावना है। साथ ही, ड्रोन टेक्नोलॉजी और एविएशन जैसे विषय भी एकेटीयू के पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं। इन क्षेत्रों में भी विवरण को किया जा सकता है।

बंधुआ है कि, प्रदेश के निजी क्षेत्र की तकनीकी वार्ता में नया पाठ्यक्रम शुरू करने और संस्थान के विस्तार के संबंध में एनओसी और संबद्धता प्रदान करने के लिए कोई अलग प्रक्रिया के साथ नहीं था। इसके चलते निजी क्षेत्र की साझेदारी को प्रदान किए गए विभिन्न प्रकार के गंभीर लोगों का सामना करना पड़ता है। आपस में मित्रतापूर्ण मुलाकात में काफी समय लग जाता है। पिछले वर्षों का अनुभव यह भी रहा है कि शासन द्वारा एनओसी प्राप्त होने वाली पहली पहल से पीसीआई, एआईसीटीई द्वारा संबद्धता के लिए एनओसी प्रदान नहीं किया गया है।

दिशा निर्देशों के तहत ट्रस्ट/सोसाइटी आदि भी नए संस्थान संचालित कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें एकेटीयू से एनओसी लेनी होगी। ऑनलाइन आवेदन के बाद सभी रिकॉर्ड्स के सत्यापन के आधार पर राज्य सरकार एनओसी जारी करती है। समझौते संस्थान अपने आवेदनों में पूर्व से स्थापित तकनीकी अनुबंध के रूप/नाम जैसे आईआईएम, अनुबंध, आईआईएससी, एनआईटी, आई आईएस क्लाइंट, आईआईआईटी, आईआईईएसटी, आईसीटीई, यूजीसी, एमओयू, जीओआई का प्रयोग नहीं करेंगे। इसके अतिरिक्त प्रारूप संस्थान अपने तकनीकी संस्थान के नाम में सरकार, भारत, भारतीय, राष्ट्रीय, अखिल भारतीय, अखिल भारतीय परिषद, कमीशन जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे। सरकारी संस्थानों को कहीं से भी ऐसा नहीं लगना चाहिए। चूंकि वे पूर्णतया निजी संस्थान हैं अत: वे एंबलम एंड नेम्स एक्ट, 1950 से किसी भी नाम का प्रयोग प्रतिबंधित नहीं करेंगे। सत्यापन के बाद एनओसी आवेदन के 60 दिनों के भीतर राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाएगा।

विश्वविद्यालय की संचार प्रदान किए जाने को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत एनओसी प्राप्त होने के बाद निकाय निकाय (एआईसीटीई/पीसी आदि) से नए संस्थान की पुष्टि/पाठ्यक्रम कार्यक्रम आदि में वृद्धि के लिए आवेदन करेंगे।

(चालू)

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