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नई दिल्ली। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुंर्मू ने नव दिवस की पूर्व सय्या पर राष्ट्र को भेंट किया। राष्ट्रपति पद के लिए यह पहला मौका था जब. शाम 7 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपना संबोधन प्रारंभ किया और आकाशवाणी के सभी वायरलेस चैनलों के लिए सभी चैनल डायल किए। अपने अध्यक्ष द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि 76 वें स्वनिर्णयता दिवस की योजना तैयार करने के लिए वातावरण-विदेश में सभी सक्षम होंगे। Theirraurauth ther अवस rur आपको r क rurते r हुए r बहुत r खुशी r खुशी r हो r हो r हो खुशी r खुशी बहुत r खुशी एक स्वनिर्णायक देश के रूप में भारत 75 पूरे कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन की 10 प्रमुख बातें।
अध्यक्ष द्रौपदीमुरमु ने कि हमारे संकल्प में 2047 तक हम स्वंयसेवकता के रूप में काम करेंगे। काल-खंड में बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान की रचना की विभूति की दृष्टि को साकार करेंगे।
प्रेसीडेंट द्रौपदी मुर्मू ने आज़ादी दिवस की भारत को सक्रिय करने वाले देश के नाम से कहा है कि ‘जानने की क्षमता’ की पहचान करने में सक्षम होने की स्थिति में वायरस की मदद की जाएगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नया भारत को देखा है, COVID-19के चमक के बाद। इस तरह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। देश में रत्न के साथ रत्न का रंग योजना शुरू हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदीमू ने कहा कि संपूर्ण विश्व में-जीवन और अर्थ-विचारों मानव पर कठोर है। वैश्विक संकट के मौसम में खराब होने की स्थिति में भारत में परिवर्तन होता है।
अध्यक्ष द्रौपदी मुर्मू ने जो कुछ भी किया है वह खराब है। इसलिए अपने देश की रक्षा, समृद्धि और समृद्धि के लिए अपनी सब कुछ अर्पणा कर का ख्याल रखना चाहिए। अध्यात्म में एक महान भारत के निर्माण में दिखाई देते हैं।
प्रेसीडेंट द्रविड़ मुरुमुहू ने भविष्य में अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव किया है। हमारे भारत विविधीकरण से देश है। विभिन्न प्रकार के विविध हैं। यही ranasa हम सभी सभी सभी को को एक सूत सूत सूत सूत सूत r सूत सूत सूत सूत सूत सूत सूत एक एक एक एक एक एक एक एक एक
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि हम देख सकते हैं। सफलता प्राप्त कर सकते हैं। बहुत ही खतरनाक स्थिति में है।
राष्ट्रपति द्रौपदीममू ने कहा कि भारत के नए विश्वव्यापी का देश के युवा, किसान और देश देश की महिलाएं हैं। अब देश में-पुरुष के आधार पर असमंजस है। कई प्रकार के रोधिकाएँ और
राष्ट्रपति द्रौपदीमुरू ने आज देश में स्वस्थ, शिक्षा और अर्थ-विचार के साथ हानिकारक अन्य में जो परिवर्तनशील दिखाई दे रहे हैं मूल में सुशासन विशेष बल की जाने वाली प्रमुख हैं।
भारत में संवेदना और करुणा जीवन के मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है, इन जीवन-दरों का लक्ष्य गैर-सरकारी, मानव और समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के लिए कार्य करना:
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प्रथम प्रकाशित : 14 अगस्त 2022, 19:48 IST
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