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नई दिल्ली। एक बड़ी खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने सेना (भारतीय सेना) के लिए 70 हजार 584 करोड़ के डिफेंस इक्विपमेंट की अनिवार्यता दी है। जी हां, डिफेंस मिनिस्टर सिंह सिंह की अध्यक्षता में DAC (डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल) ने इस खरीद को मंजूरी दी है। जानकारी के अनुसार इन ग्रन्थों में जा रहे हैं नेवी के लिए 60 मेड इन इंडिया यूटिलिटी मरीन हेलीकॉप्टर और 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें भी शामिल होंगी।
इसके साथ ही आर्मी को 307 हॉवित्जर तोपें दी स्प्रेडशीट्स। वहीं साथ ही एयर फोर्स के लिए खास तौर पर लॉन्ग रेंज स्टैंड-ऑफ वेपन भी पहुंचेंगे। खास बात यह होगी कि इन जहाजों को हीहोई- 30 फाइटर जेट्स से जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही इंडियन कोस्ट गार्ड्स के लिए भी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर सभी जा रहे हैं। इसे सीधे तौर पर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाए रखें।
रक्षा मंत्रालय ने भारतीय रक्षा बलों के लिए विभिन्न हथियार प्रणालियों की खरीद के लिए 70,000 करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्तावों को मंजूरी दी है: रक्षा अधिकारी pic.twitter.com/3jFPr59xOW
– एएनआई (@ANI) 16 मार्च, 2023
ये प्रपोजल क्यों जरूरी है
जी हां, मोदी सरकार अब देश की सेना को सैन्य युग की जरूरत से आगे बढ़ा रही है और उसे आगे बढ़ा रही है। अब सेना के लिए 70,584 करोड़ के हथियार पहुंचेंगे। यह निर्णय इस अटकल से भी अहम है क्योंकि पिछले तीन साल से पूर्वी संकेत में चीन के साथ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की मौजूदा लाइन आज भी तनाव जारी है। दरअसल डिफेंस एक्वजिशन काउंसिल ने एओएन (एक्सेप्टेंस) ऑफ नेसेसिटी के तहत डील का प्रस्ताव रखा था।
ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा यह पैसा इसी के तहत जारी किया जाएगा, यह एक विशेष और विशेष कार्यक्रम है। इसका मकसद भारत में बने उपकरण का अब हथियार में शामिल होना है। वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अब कुल 2,71,538 करोड़ रुपये की बंदी हो चुकी है। इसका 98.9% हिस्सा भारत में बने सामान की खरीदारी पर ही खर्च होगा।
पाकिस्तान-बांग्लादेश चीन से खरीद रहे हथियार
जानकारी हो कि, दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच युद्ध, शस्त्रीकरण, शस्त्रों पर नियंत्रण और प्रभावीकरण में खोज के लिए काम करने वाला स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक विशेष रिपोर्ट के अनुसार भारत के ‘नॉट-सो-फ्रेंडली’ ‘पड़ोसियों का चढ़ना भी अब चीन की तरफ बढ़ रहा है। वहीं पिछले पांच साल यानी 2018 से 2022 के दौरान पाकिस्तान ने 2013-17 की तुलना में अनुपात का 14% जोर दिया, और अपनी संपत्ति का तीन-पहचान से भी ज्यादा हिस्सा पाकिस्तान ने चीन से ही मंगवाया है।
पाकिस्तान-बांग्लादेश और चीन क्या बना रहे हैं कोई बड़ा प्लान
वहीं बांग्लादेश भी अपने कुल आयात का लगभग तीन-निर्धारक है, यानी 74% हिस्सा चीन से ही खरीदता है। वहीं चीन का कुल हथियार का 12% हिस्सा हिसा बांग्लादेश ही खरीदता है। इस रिपोर्ट के अनुसार, चीन हथियार का दावा करने के मामले में दुनिया में इस हिस्सेदारी का चौथा पहलू है, और समूचे विश्व में होने वाले हथियार का 5.2% हिस्सा समान बिक्री है। , लेकिन अहम तथ्य यह है कि उनका कुल मिलाकर 54% हिस्सा पाकिस्तान का ही है।
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