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अभिलाष थपलियाल
उन्होंने जोर देकर कहा, “इन हिल स्टेशनों को पर्यटक हब के रूप में विकसित किया जा रहा है लेकिन बिना ज्यादा सोचे समझे। हिल स्टेशनों को टूरिस्ट हब के रूप में विकसित करने में हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वहां अंधाधुंध निर्माण न हो। लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि ऐसी जगहों पर पर्यटन केंद्र कैसे विकसित किए जाएं ताकि पहाड़ों को नुकसान न पहुंचे और जगह की पारिस्थितिकी को नुकसान न पहुंचे।
अभिलाष आगे कहते हैं, “हम पहाड़ों पर बतौर आगंतुक जाते हैं। हम वास्तव में नहीं जानते कि पहाड़ी लोग हर दिन किस कठिनाई का सामना करते हैं। हम वहां गांवों में नहीं रह रहे हैं। जोशीमठ आदि जगहों पर पहाड़ों में रहने वाले इन लोगों से पूछा जाना चाहिए कि उन्हें पहाड़ों में क्या चाहिए। क्या वे वहां कंक्रीट के जंगल चाहते हैं?” आरजे से अभिनेता बने, जिन्हें दिल जंगली और फाडू जैसी फिल्मों में भी देखा गया, जब उनसे देहरादून की उनकी यादों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मैं इसे हमेशा परिवार की शादियों में शामिल होने की जगह के रूप में याद रखूंगा।” बचपन। हमारे ज्यादातर रिश्तेदार वहीं रहते हैं इसलिए लगभग सभी शादियां वहीं होतीं। दरअसल दो साल पहले मैं देहरादून गया था क्योंकि हमें मसूरी जाना था। इसलिए हमने शहर में रहने का फैसला किया ताकि हम सिर्फ घूमने-फिरने का लुत्फ उठा सकें और मोमोज खा सकें। इसलिए मेरे बचपन के दिनों से देहरादून की हर यात्रा अच्छी और सुखद यादों से भरी होती है।”
-अमीना अशरफ के इनपुट के साथ
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