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सागर, मध्य प्रदेश (मध्य प्रदेश) के सागर (सागर) जिले में एक सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों ने एक लावारिस शव मुर्दाघर के बंद पड़े हुए रखा जहां तीन दिन तक उसकी निगरानी नहीं की गई। मंगलवार की घटना के सामने आने के बाद प्रखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) को पद से हटा दिया गया और उन्हें कारण बताते हुए नोटिस जारी किया गया।
जिलाधिकारी दीपक आर्य ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति भी बनाई है। घटना सागर जिले के बीना कस्बे के सिविल अस्पताल की है। बीना थाना प्रभार कमल निगवाल ने बुधवार को बताया कि जिले के उरैया गांव में एक अप्रैल की रात एक लावारिस शव मिला था। उसे सिविल अस्पताल के शवगृह में ले जाया गया, जहां संबंधित कर्मचारियों को विधिवत सूचित करने के बाद शव को लाइव में रख दिया गया।
निगवाल ने कहा कि हालांकि स्वास्थ्य कर्मचारियों ने यह नहीं बताया कि अस्वस्थ काम नहीं कर रहा है। बीमी संजीव अग्रवाल ने कहा कि उन्हें अस्वस्थ कर्मचारियों द्वारा संबंधित काम करने की जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने कहा कि मिलने में देरी होने के कारण तीन दिन तक परिवार नहीं मिल पाता है।
अग्रवाल ने दावा किया कि शव पूरी तरह से नहीं सड़ा था और और उसके कुछ हिस्सों पर ही कीड़े देखे गए। उनका कहना था कि हालांकि मामला उनकी जानकारी के आने के बाद मंगलवार को तय हो गया था। उद्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ममता तिमोरी ने कहा कि घटना के बाद अग्रवाल से बीएमओ का आरोप वापस ले लिया गया है और उन्हें कारण बताए नोटिस भी जारी किए गए हैं। केस का नाम लेते हुए जिलााधिकारी ने केस की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
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